A cricketing slugfest
July 20th, 2006
आà¤à¤–ों मे जलती धूप और मà¥à¤¹ पे लू के थपेड़े,
पसीने से à¤à¥€à¤—ी शरà¥à¤Ÿ और धूल धूसरित उजà¥à¤œà¥œ बाल ।
रहरहकर नंगे पैरों में चà¥à¤à¤¤à¥‡ वो कंकड़ हजार,
अगली गेंद से नज़र हटने का लेकिन ना कोई सवाल ।
मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सी à¤à¤•à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¤à¤¾ और गेंदबाज पे पैनी नज़र,
गदा समान बलà¥à¤²à¤¾ मà¥à¤ à¥à¤ ी में कसकर पकड़ खड़े तयà¥à¤¯à¤¾à¤° ।
फीलà¥à¤¡à¤° और सीमा का, अवचेतन मन में चितà¥à¤° खिंचा,
तन गई à¤à¥à¤•à¥à¤Ÿà¥€ लो शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† अब अगली बाल का इंतजार ।
अपना पूरा ज़ोर लगाकर, गेंदबाज ने फेकी गेंद,
सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¥‡ को चीरती बढ़ती, धà¥à¤µà¤¨à¤¿-सीमा को कर गई पार ।
à¤à¤• कदम कर पीछे लेग पे, बलà¥à¤²à¥‡à¤¬à¤¾à¤œ ने बलà¥à¤²à¤¾ à¤à¤¾à¤‚जा,
दम टूटा फीलà¥à¤¡à¤° का पीछे, आगे देखो हो गये चार ।
उलà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥‹à¤¨à¥à¤®à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ हरà¥à¤·à¤¿à¤¤ दरà¥à¤¶à¤•à¤—ण, चहक उठे और उछल पड़े,
तालियों और नारों कि गूंजों से, होता जीत का अà¤à¤¿à¤µà¤¾à¤¦à¤¨ ।
बलà¥à¤²à¥‡à¤¬à¤¾à¤œ कंधों पे चढ़कर, पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा का करता रसपान,
हार कठिन है सहनी लेकिन, उससे à¤à¥€ दà¥à¤·à¥à¤•à¤° यह कà¥à¤°à¤‚दन !
-Self
आधॆ सॆ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ समठमॆं आया.... पर पूरा नहीं 🙁
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