सहमी सी इक नज़à¥à¤® के सहमे हà¥à¤¯à¥‡ अलà¥à¤«à¤¼à¤¾à¤œà¤¼
कतरों में सिमटती हà¥à¤ˆ, मन की इक आवाज़
आà¤à¤–ों में सरà¥à¤¦ रोशनी की आख़री किरन
दम तोड़ते हà¥à¤¯à¥‡ दिल की आख़री धड़कन
बस à¤à¤• इनायत की नज़र कर तो दो सरकार
जीना तो था बेकार यहाà¤, मौत तो हो साकार !
ज़ालिम तेरे ज़à¥à¤²à¥à¤®à¥‹à¤‚ कि ये अब इंतहा तो है
इन रंजिशी नसों में दरà¥à¤¦ ही बहा तो है
बस à¤à¤• मà¥à¤²à¤¾à¤•à¤¾à¤¤ ही को, मैं होता बेकरार
इस आख़री à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¨ से à¤à¥€ है तà¥à¤à¥‡ इनकार ?
माना à¤à¥€ चलो तà¥à¤®à¤•à¥‹ ना था मà¥à¤à¤¸à¥‡ कà¤à¥€ पà¥à¤¯à¤¾à¤°
पर à¤à¥‚ठही कह दो चलो मरने तो दो इक बार